Sunday 6 August 2017

एकतरफा प्यार की अधुरी कहानी

आज ५ अगस्त २०१७ को मैं अपनी कहानी सुना रहा हु, ये मेरी जीवन की सच्ची कहानी है जिसकी यांदे मेरे जहन में धुंधली जरूर है, लेकिन कभी भी मिट नही सकती ।

ये तब की बात है जब मैं कॉलेज के १स्ट ईयर में था मैं कोचिन में बैठकर पढ़ रहा था, तभी नीलम मेरी एक दोस्त दो नई लड़कियो को क्लास में ले आयी नेहा और निशा दोनों बहने थी, तभी मैंने उसे पहली बार देखा लेकिन ऐसा नहीं था, मैं एक एनुअल प्रोग्राम में उनके कॉलेज गया था तब मैंने उसे पहली बार नीलम के साथ हमारे चार या पांच सीट आगे बैठे देखा था, मगर मैंने उसे कभी नहीं बोला ये बात और उस समय मैंने उतना ध्यान भी नहीं दिया था |

मैं बचपन से ही लड़कियों के साथ कम बात करता था, इसीलिए सब लड़किया मुझे घमंडी समझती थी लेकिन नेहा और निशा से मैं ज्यादा नहीं झिझकता था उनसे अछ्छी दोस्ती हो गयी कोचीन जाना भी मुझे अच्छा लगने लगा |हमारे बिच कोपिस भी एक्सचेंज होती थी वो मुझे अछि लगने लगी उससे बात करना अचानक से बहुत अच्छा लगने लगा सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था हम सब दोस्त मिलके घूमने भी जाते वो भी जाती मजा आता | हम दोनों व्हाटसप्प में भी बाते करते थे एक दिन बातें करते करते मैंने उससे बोला "लगता है सायद मुझे किसी से प्यार हो गया है " तो फिर वो जानने को इच्छुक हो गयी की कौन है वो तो फिर मैंने उसे बता दिया की वही है जिससे मुझे प्यार हुआ, फिर वो बोली मैंने तेरे बारे में ऐसा नहीं सोचा तुम मेरे एक अच्छे दोस्त हो | फिर मैं इस बात पे सीरियस भी नहीं हुआ मैंने फिर जबाब में लिखा "कोई बात नहीं हम अच्छे दोस्त हमेशा रहेंगे |"

तो मैंने उसे व्हाटसप्प पे प्रोपोज़ किया पहली बार मुझे हमेशा लगता की एक बार उसे मेरे सामने प्रोपोज़ करू लेकिन कभी हिम्मत नहीं जूटा पाया डर रहता वो कहि बात करना न बंद करदे | फिर कुछ दिन बाद सबकुछ नार्मल हो गया सायद उस वक़्त प्यार का अहसास मुझे नहीं हुआ था, मुझे लगता था की दोस्तों को दिखने के लिए प्रेमिका होना बहुत जरूरी है सायेद इसी लिए मैंने उसे प्रोपोज़ किया क्युकी मेरी अछि दोस्त थी, लेकिन वो जब इंकार करदी तो मैंने और एक अनजान लड़की को प्रोपोज़ किया उस्से मै कलकत्ता ऊनिभरसिटी में किसी काम के वजह से मिला था और उसने हां करदी सब कुछ सही था साथ ही नेहा को भी बोलता था की मैं उससे बहुत प्यार करता हु अब तक मुझे मेरे सच्चे प्यार का अहसास नहीं हुआ सेकंड ईयर भी ख़तम होने को आ गया तब मुझे पता चला की नेहा के विवाह की बात निश्चित हो गयी है, वो किसी राहुल से शादी करने वाली थी जो उससे दस साल बडा था। नेहा को भी राहुल अच्छा नही लगता लेकीन वो अपने पापा को बोल नही पा रही थी।

उस समय मुझे एक अलग एहसास होने लगा, जब आपसे कोई दुर जाता है तभी आपको उसकी किमत का अहसास होता है उस मैने अपने प्यार का अहसास कराया उसे लेकिन वो मुझसे प्यार नही करती थी।दुसरी तरफ उस अनजान लडकी के साथ भी रिलेशन मे था लेकिन नेहा के प्यार के वजह से मै परेशान रहता और उसे समय नही दे पाता जिसके चलते हमारे बीच अनबन चलती ही रहती । सेकण्ड ईयर की परिक्छा भी खतम हो गई, नेहा के विवाह की तारीख नजदिक आ गई, मेरे और उस अनजान लडकी का ब्रेकप हो गया मैने उसे सब कुछ सच बोल दिया नेहा के बारे मे ।मुझे लगा वो मुझे मारेगी या गालिया देगी मगर ऐसा बिल्कुल नही हुआ वो समझ गई कि प्यार पर किसी का बस नही चलता। सायद मेरे नजरो मे उसने नेहा को धुन्ध लिया वो रोई अपने हाल पे मगर एक बात बोली "प्यार को कभी जबरजस्ती नही पाया जा सकता वो किसमत वालो को ही मिलता है" मुझे बहुत बुरा लगा उस लडकी के लिये लेकिन हमारी दोस्ती आज भी बरकरार है आज भी उस लडकी से बाते होती है।

नेहा की शादी हो गई ।शादी के बाद भी हम बाते करते कभी फोन मे तो कभी वाट्सप मे हमारी बात होती। वो हमेशा यही पुछती शादी के बाद क्या तुम आज भी मुझसे प्यार करते हो मै कहता "बहुत ज्यादा"।फिर वो पुछती तुमहे मुझसे प्यार क्यु है मै जवाब देता "पता नही बस हो गया " । फिर धिरे धिरे हमारी बाते बन्द हो गई पता नही क्यो वो मुझसे बात नही करना चाहती।

मै आज भी उससे प्यार करता हु पता नही क्यो।